बुधवार, जुलाई 13, 2022

मेरे हिस्से का बचा हुआ प्रेम

मेरे हिस्से का बचा हुआ प्रेम
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फूलों को देखकर कभी नहीं लगता
कि,एक दिन मुरझा कर 
बिखर जाएंगे ज़मीन पर
तितलियों को उड़ते देखकर भी कभी नहीं लगा
कि,इनकी उम्र बहुत छोटी होती है

समूचा तो कोई नहीं रहता

देह भी राख में बदलने से पहले 
अपनी आत्मा को 
हवा में उड़ा देती है
कि,जाओ
आसमान में विचरण करो

लेकिन मैं
स्मृतियों के निराले संसार में 
जिंदा रहूंगा
खोलूंगा
जंग लगी चाबी से
किवाड़ पर लटका ताला
ताला जैसे ही खुलेगा

धूल से सनी किताबों से
फड़फड़ाकर उड़ने लगेंगी
मेरी अनुभूतियां
सरसराने लगेंगी
अभिव्यक्तियां
जो अधलिखे पन्नों में
मैंने कभी दर्ज की थी
पिघलने लगेगी 
कलम की नोंक पर जमी स्याही

पीली पड़ चुकी 
उपहार में मिली 
कोरी डायरी में
अब मैं नहीं 
लोग लिखेंगे
मेरे हिस्से का 
बचा हुआ प्रेम---

◆ज्योति खरे

21 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.7.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4490 में दिया जाएगा
आभार

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बेहतरीन❤️🧡💙

शुभा ने कहा…

वाह!बहुत खूब!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पीली पड़ चुकी
उपहार में मिली
कोरी डायरी में
अब मैं नहीं
लोग लिखेंगे
मेरे हिस्से का
बचा हुआ प्रेम---
बहुत खूब । आज तो गज़ब ही लिख दिया ।

मन की वीणा ने कहा…

वाह! श्र्लाघ्य भाव सृजन।
सादर साधुवाद।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन

Kamini Sinha ने कहा…

अब मैं नहीं
लोग लिखेंगे
मेरे हिस्से का
बचा हुआ प्रेम-

बहुत खूब, हमारे हिस्से का बचा हुआ प्रेम जाने के बाद ही मिलता है। लाजवाब अभिव्यक्ति आदरणीय सर, 🙏

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

How do we know ने कहा…

वाह!!!

अनीता सैनी ने कहा…

मन को छूती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सराहनीय।
सादर

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Tarun / तरुण / தருண் ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण सृजन , साधु !

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Madhulika Patel ने कहा…

पर जमी स्याही

पीली पड़ चुकी
उपहार में मिली
कोरी डायरी में
अब मैं नहीं
लोग लिखेंगे
मेरे हिस्से का
बचा हुआ प्रेम---
बहुत सुंदर रचना ।