बुधवार, सितंबर 23, 2015

इरादों की खेती करेंगे ----


अपने इरादों को
तुमने ही दो भागों में बांटा था
तुम अपने हिस्से का
दुपट्टे में बांधकर
ले गयी थी
यह कहकर
मैं अपने इरादे पर कायम रहूंगी
पूरा करुँगी ---


मैं अपने इरादों को
मंजिल तक पहुंचाने
परिस्थितियों से जूझता रहा
अपने इरादों पर
आज भी कायम हूँ
शायद तुम ही
अपने इरादों से बधें दुपट्टे को
पुराने जंग लगे संदूक में रख कर भूल गयी ---

अपने इरादों का दुपट्टा ओढ़कर
बाहर निकलो --
मैं साइकिल लिए खड़ा हूँ
सड़क पर
तुम्हारे पीछे बैठते ही
मेरे पाँव
इरादों के पैडिल को घुमाने लगेंगे---

दूर बहुत दूर
किसी बंजर जमीन पर ठहर कर
अपन दोनों
इरादों की
खेती करेंगे ----

                      "ज्योति खरे"

चित्र-- गूगल से साभार 

सोमवार, सितंबर 07, 2015

बिटिया के आँचल में -----

अपने आँचल में
ममता की झील बांधे हो
यह झील विरासत में मिली हैं तुम्हें
फिर झील को क्यों बांटना चाहती हो
अगर बांटना है तो
न्याय की जमीन पर खड़े होकर बांटो ---
 
बेटे को झील का तीन हिस्सा पानी
बेटी को एक हिस्सा
सारे उपवास बेटे के उज्जवल भविष्य के लिए
बिटिया के लिए कुछ भी नहीं
 
हरछठ में उपासी हो
बिना हल चले खेत के
पसई के चांवल खाओगी
महुआ की चाय पियोगी
बांस की टोकनी पूजोगी
जिसे ममता की झील का तीन हिस्सा पानी दे रही हो
उस वंश ने एक बार भी नहीं पूछा
जिसे एक हिस्सा दे रही हो
वह तीन हिस्से और मिलाकर लौटा रही है ---
 
दिनभर से पूछ रही है
मम्मी
महुआ की चाय पी
पसई के चांवल खाये
पूजा हुई
ब्लड प्रेशर की दवाई जरूर खाना
भैया का फोन आया ----
 
मेरी बात पर रोना नहीं सुनीता
ममता की झील सूख जायेगी
झील के पानी को बचाओ
बिटिया को अधिक पानी दो
उसे पीढ़ी दर पीढ़ी बांटना है पानी ----
 
बिटिया के आँचल में
ममता का पानी
लबालब भरा रहना चाहिए -------

"ज्योति खरे"