धुंधली आंखें भी
पहचान लेती हैं
भदरंग चेहरे
सुना है------
इन चेहरों में
मेरा चेहरा भी दीखता है-------
गुम गयी है
व्यवहार की किताब
शहर में
सुना है---------
गांव के कच्चे घरों में
अपनापन
आज भी रिसता है------
इस अंधेरे दौर में
जला कर रख देती है
बूढ़ी दादी
लालटेन
सुना है------
बूढ़ा धुआं
दर्द अपना लिखता है-------
नीम बरगद के भरोसे
झूलती हुई झूला
उड़ रही है आकाश में
खिलखिलाती
सुना है-------
प्यार की चुनरी के पीछे
चांद
आकर छिपता है--------
"ज्योति खरे"
पहचान लेती हैं
भदरंग चेहरे
सुना है------
इन चेहरों में
मेरा चेहरा भी दीखता है-------
गुम गयी है
व्यवहार की किताब
शहर में
सुना है---------
गांव के कच्चे घरों में
अपनापन
आज भी रिसता है------
इस अंधेरे दौर में
जला कर रख देती है
बूढ़ी दादी
लालटेन
सुना है------
बूढ़ा धुआं
दर्द अपना लिखता है-------
नीम बरगद के भरोसे
झूलती हुई झूला
उड़ रही है आकाश में
खिलखिलाती
सुना है-------
प्यार की चुनरी के पीछे
चांद
आकर छिपता है--------
"ज्योति खरे"