स्वतंत्रता दिवस की परेड में खड़े
इस महादेश के बच्चे
आपस में बातें कर रहें हैं
कि जहां
मजदूर,किसान,खेत और रोटी की बात होना चाहिए
वहां हथियारों की बात हो रही है
सन्नाटे में खदबदाते तनाव को
सिरे से खारिज कर
मनुष्य के बेहतर जीवन की घोषणाऐं
हो रही हैं
लेकिन इस देश के बच्चे
आज भी सरकारी स्कूल की
चूती छतों के नीचे बैठकर
अच्छा नागरिक बनने
भूखे पेट स्कूल जा रहैं हैं
ऐसे भयानक खतरनाक समय में
राष्ट्रगीत भी गाना जरुरी है
बच्चे खड़े खड़े
नई सुबह के उजाले को पकड़कर
भविष्य का तार तार बुनने का
प्रयास कर रहें हैं
युद्ध मेँ भाग रहे सैनिकों को
एक चुम्बन के बहाने
अपने पास बुला रहें हैं
बच्चे पकड़ना चाहते हैं
माँ का आंचल
दीदी की तार तार हो रही चुन्नी
थामना चाहते हैं पापा की उंगली
पहचानना चाहते हैं
अपनी सभ्यता और संस्कृति
बच्चे सहेजना चाहते हैं
दरक चुकी भारत माता की तस्वीर
आसमान को अपना समझकर
करना चाहते हैँ
ध्रुव तारे से दोस्ती.......
"ज्योति खरे"