टेसू और फागुन
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कटे हुए टेसू का हालचाल
पूंछने
सालभर में एक बार आता है फागुन
टेसू फागुन से मिलते ही
टपकाने लगता है
विकास के पांव तले कुचले
खून से सने
अपने फूलों के रंग
कहता है अपने दोस्त
फागुन से
तुम
प्रेम के रंगों से भरे
रहस्यों को
शहर की गलियों में
रह रहे लोगों को समझाओ
कुझ दिन झोपड़ पट्टी में भी गुजारो
भूखे बच्चों से बात करो
उजड़ रहे गांव में जाओ
जहां पैदा तो होता है अनाज
पर रोटियां की कमी है
एक चुटकी गुलाल
मजदूरों के गाल पर भी
मलो
क्योंकि इन्हें सम्हलने में लंबा समय लगेगा
मेरा क्या
मैं अपने कटे जाने की
पीड़ा से
एक दिन मुक्त हो जाऊंगा
सूखकर
मिट्टी में मिल जाऊंगा
फागुन
तुम्हें हर साल आना है
क्यों सूख रहे हैं
प्रेम के रंग
उनका जवाब देना है ---
◆ज्योति खरे