सीढ़ी पर बैठे बच्चे
सीढ़ी पर बैठकर बच्चे
घुप्प अंधेरे और
सीढ़ी पर बैठकर बच्चे
पकड़े थे माँ का आँचल
दुनियां के ये बच्चे
अपनी अपनी माँ से कह रहे थे कह रहे थे पापा से
सीढ़ी पर बैठे बच्चे
सभ्यता और संस्कृति की
क्या अब
उसी सीढ़ी पर बैठकर बुद्धिजीवी
तलाशकर लौटा पायेंगे उसी सीढ़ी पर बैठकर बुद्धिजीवी
दुनियां के बचे हुए लोगो
सभ्यता और संस्कृति की "ज्योति खरे"