उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
सोमवार, अप्रैल 08, 2013
जंगल में कट जाये--------
सुलगते कंडों से
निकलती धुंये की धार
जंगल में कट जाये
ज्यों इतवार----
गोधूलि बेला में
उड़ती धूल
पीड़ाओं के आग्रह से
मुरझाते फूल
प्रेम की नांव
डूब रही मझधार-----
"ज्योति खरे"
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