बूढ़ी महिलाएं
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अपनी जवानी को
गृहस्थी के
हवन कुंड में तपाकर
सुनहरे रंग की हो चुकी
बूढ़ी महिलाएं
अपने अपने घरों से निकलकर
इकठ्ठी हो गयी हैं
गुस्से से भरी
ये बूढ़ी महिलाएं
कह रहीं हैं
जमीन से उठती
संवेदनाओं पर
ड़ाली जा रही है मिट्टी
अब हम
जीवन भर साध के रखी
अपनी चुप्पियों को
तोड़ रहें हैं
डाली जा रही
मिट्टी को हटाकर
आने वाले समय के लिए
रास्ता बना रहे हैं--
"ज्योति खरे"