लड़कियां
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फुटपाथ पर
बेचती है
पालक,मैथी और लाल भाजी
यह वह
अपनी जमीन के
छोटे से टुकड़े में बोती है
उसके पास ही
बेचती है एक लड़की
अदरक,लहसुन और हरी मिर्च
यह वह आढ़त से खरीदती है
दोनों
अपनी अपनी साइकिलों में
बोरियां बांधकर
पास के गांव से आती हैं
शाम को दुकान समेटने के बाद
खरीदती हैं
घर के लिए
जरूरत का सामान
दोनों
घर पहुंचने के पहले
एक जगह खड़े होकर
बांटती हैं
अपने अपने दुख
कल मिलने का वादा कर
लौट आती हैं
अपने अपने घर
सुबह
फिर मिलती हैं
आती हैं बाजार
संघर्षों के गाल पर
चांटा मारने----
"ज्योति खरे"