उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
शनिवार, अप्रैल 06, 2013
नमीं थी--------
दीवाल पर टंगे
सफ़ेद कागज़ पर
काली स्याही की
कुछ बूंदें जमीं थी---
अमावस की रात
चांदनी की
आंख से टपकी
नमीं थी--------
"ज्योति खरे"
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