रविवार, दिसंबर 29, 2019

जिन्दा रहने की वजह

जिन्दा रहने की वजह
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सम्हाल कर रखा है
तुम्हारे वादों का
दिया हुआ
ब्राउन रंग का मफलर
बांध लेता हूँ
जब कभी
तब कान में फुसफुसाकर
कहती है ठंड
कि, आज बहुत ठंड है

इन दिनों
उबलते देश में
गिर रही है बर्फ
दौड़ रही है शीत लहर
जानता हूँ
तुम्हारी भी तासीर
बहुत गरम है
पर
मेरी ठंडी यादों को
गर्माहट देना
ओढ़ लेना
मेरा दिया हुआ
ऊनी आसमानी शाल

बहकते, झुंझलाते
और भटकते इस दौर में
प्रेम
जिन्दा रहने की
वजह बनेगा-----

"ज्योति खरे"