सोमवार, मई 25, 2020

ईद मुबारक

सुबह से 
इंतजार है 
तुम्हारे मोंगरे जैसे 
खिले चेहरे को
करीब से देखूं
ईद मुबारक 
कह दूं

पर तुम 
शीरखोरमा
मीठी सिवैंईयां
बांटने में लगी हो

मालूम है
सबसे बाद में
मेरे घर आओगी
दिनभर की 
थकान उतारोगी
बताओगी
किसने कितनी 
ईदी दी

तुम 
बिंदी नहीं लगाती हो
पर में
इस ईद में
तुम्हारे माथे पर
गुलाब की पंखुड़ी 
लगाना चाहता हूं

मुझे नहीं मालूम
तुम इसे
प्रेम भरा
बोसा समझोगी
या गुलाब की सुगंध का
कोमल अहसास
या ईदी

अब जो भी हो
प्रेम को 
जिंदा रखना है
अपन दोनों को

"ज्योति खरे"