बिखरे पड़े हैं क़त्ल से
रिश्ते जमीन के-----
मुखबिर बता रहे हैं
किस्से यकीन के------
चाहतों के मकबरे पर
शाम से मजमा लगा है
हाथ में तलवार लेकर
कोई तो दुश्मन भगा है
गश्त दहशत की लगी है
किस तरह होगी सुबह
खून के कतरे मिले हैं
फिर से कमीन के-------
चाँद भी शामिल वहां था
सूरज खड़ा था साथ में
चादर चढ़ाने प्यार की
ईसा लिये था हाथ में
जल रहीं अगरबत्तियां
खुशबू बिखेरकर
रेशमी धागों ने बांधे
रिश्ते महीन के-------
"ज्योति खरे"
(उंगलियां कांपती क्यों हैं------से )
रिश्ते जमीन के-----
मुखबिर बता रहे हैं
किस्से यकीन के------
चाहतों के मकबरे पर
शाम से मजमा लगा है
हाथ में तलवार लेकर
कोई तो दुश्मन भगा है
गश्त दहशत की लगी है
किस तरह होगी सुबह
खून के कतरे मिले हैं
फिर से कमीन के-------
चाँद भी शामिल वहां था
सूरज खड़ा था साथ में
चादर चढ़ाने प्यार की
ईसा लिये था हाथ में
जल रहीं अगरबत्तियां
खुशबू बिखेरकर
रेशमी धागों ने बांधे
रिश्ते महीन के-------
"ज्योति खरे"
(उंगलियां कांपती क्यों हैं------से )