बीनकर लाता है
दिनभर में
काला दुःख
लाल कपट
सफ़ेद छल
टुकड़े टुकड़े हंसने की चाह
कुनकुनी रात की रंगीनियां
अवैध संबंधों की जांघ में
गपे छुरे का गुमनाम सच------
सरकारी अस्पताल में
मरने के लिये
मछली सी फड़फड़ाती
पुसुआ की छोकरी
और डाक बंगले में फिटती रही
रातभर रमीं
लुढ़कती रहीं
खाली बोतलें --------
डालकर गले में हांथ
खुरदुरे शहर का हाल बताता है
मन का दुखड़ा सुनाता है
तो
किसी का क्या जाता है--------
"ज्योति खरे"