समय के गाल पर मारकर चांटा
इधर उधर भाग रहा है
मौसम
चबूतरे पर
पसरा पड़ा है
बेसुध सन्नाटा
कुत्ते भी
उदास होकर
हांफने लगे है
कुआं , तलाब और छांव की
की तलाश कर
छतों पर खोज रहीं है
चिड़ियां
दाना पानी
पिछले बरस ही
फेंक दिया गया था
फूटा मटका
घर घर
ढूंढा जा रहा है पानी ---
"ज्योति खरे"