मुद्दे
***
खास समय में
कुछ लोग आकर
मुद्दों को सहलाते हैं
भावनाओं को
भटकाकर
चले जाते हैं
ऐसे लोग
रखते हैं गहरी पैठ
बदल देते हैं मस्तिष्क की तस्वीर
कर देते हैं कल्पनाओं की सूखी जमीन को हरा
मुद्दे
जीवन और मृत्यु के बीच
पलने वाले अद्र्श्य भ्रूण हैं
जिन्हें मार दिया जाता है
रंगीन चादरों की तहों में लपेटकर
फिर नहीं आते ऐसे लोग
सो जाते हैं
मुद्दों की खाल ओढ़कर
भटकाने वालों से
सावधान हो जाओ
कंक्रीट की सड़कों पर
पगडंडियां मत बनाओ
बनाओ
एक बहुत चौड़ा रास्ता
जो मुद्दों के खतरनाक जंगल को
चीरता हुआ निकल जाए
उस पार
जहां स्वागत के लिए खड़ी है
आने वाली पीढ़ी
मुद्दों से बेखबर----
◆ज्योति खरे
चित्र- गूगल से साभार