अब
पडोसी के अमरूद
तोड़कर नहीं खाये जाते
सीधा
पडोसी को ही कर दिया जाता है
खलास---------
लोग अब
छुट्टियों में
अपने गांव नहीं जाते
शहर में ही खोल ली है
दुश्मनी की क्लास--------
हमने पूछा
खादी के सफ़ेद कुरते में
दाग कैसा
वे कहने लगे
कम्मो की देह में कर रहे थे
संभावनाओ की तलाश-------
"ज्योति खरे"