माना कि तुम्हारे आँगन में
जूही,चमेली,रातरानी
महकती होगी
पर तुम अपने आँगन में
बस
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो-------
दोपहर की धूप में भी देहकर
खिलता,फूलता है
गुलमोहर
देता है छांव------
तपती जेठ की दोपहरी में
जब कोई खटखटाता है
तुम्हारा दरवाजा
"वातानुकूलित"कमरे से निकलकर
इस तपते समय में
तुम्हे और तुम्हारे आगंतुक को
गुलमोहर देगा छांव-------
लाल सुबह के रंग लिये
गुलमोहर के फूल
आत्मिक सौन्दर्य के धनी होकर भी
सुगंध से परे रहते हैं
शान से खिलते हैं-------
धूप से जूझते हैं
तब-----!
जब-----!
तुम्हारे "इनडोर प्लांट"
तपे हुये बंगले की दीवारों के बीच
प्यार भरे सहलाव,अपनत्व में भी
कायम नहीं रह पाते
तुम्हारे ही तरह
"सुविधाजीवि"हैं
तुम्हारे पौधे और फूल--------
तुम गुलमोहर हो सकते हो
किसी आतप से झुलसे जीवन के लिये
छांव दे सकते हो
किसी जलते मन को
प्रेम को-----
तुम्हे बाजार मिल जायेगा
सुगंध का
सुविधा से
तुम जूही,चमेली,गुलाब का
सुगंधित अहसास खरीद सकती हो
पर
गुलमोहर की छांव
नहीं मिलती बाजार में
नहीं बनता इसका "सेंट"
यह तो बस खिलता है
सौन्दर्य की सुगंध भरता है
आंखों से मन में,प्रेम में
जीवन में--------
तुम भी गुलमोहर हो सकते हो
बस
अपने आंगन में
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो------------
"ज्योति खरे"
जूही,चमेली,रातरानी
महकती होगी
पर तुम अपने आँगन में
बस
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो-------
दोपहर की धूप में भी देहकर
खिलता,फूलता है
गुलमोहर
देता है छांव------
तपती जेठ की दोपहरी में
जब कोई खटखटाता है
तुम्हारा दरवाजा
"वातानुकूलित"कमरे से निकलकर
इस तपते समय में
तुम्हे और तुम्हारे आगंतुक को
गुलमोहर देगा छांव-------
लाल सुबह के रंग लिये
गुलमोहर के फूल
आत्मिक सौन्दर्य के धनी होकर भी
सुगंध से परे रहते हैं
शान से खिलते हैं-------
धूप से जूझते हैं
तब-----!
जब-----!
तुम्हारे "इनडोर प्लांट"
तपे हुये बंगले की दीवारों के बीच
प्यार भरे सहलाव,अपनत्व में भी
कायम नहीं रह पाते
तुम्हारे ही तरह
"सुविधाजीवि"हैं
तुम्हारे पौधे और फूल--------
तुम गुलमोहर हो सकते हो
किसी आतप से झुलसे जीवन के लिये
छांव दे सकते हो
किसी जलते मन को
प्रेम को-----
तुम्हे बाजार मिल जायेगा
सुगंध का
सुविधा से
तुम जूही,चमेली,गुलाब का
सुगंधित अहसास खरीद सकती हो
पर
गुलमोहर की छांव
नहीं मिलती बाजार में
नहीं बनता इसका "सेंट"
यह तो बस खिलता है
सौन्दर्य की सुगंध भरता है
आंखों से मन में,प्रेम में
जीवन में--------
तुम भी गुलमोहर हो सकते हो
बस
अपने आंगन में
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो------------
"ज्योति खरे"