रावण जला आये बंधु
*****************
कागज
लकड़ी
जूट और मिट्टी से बना
नकली रावण
जला आये बंधु !
जो लोग
सहेजकर सुरक्षित रखे हैं
शातिरानापन
गोटीबाजी
दोगलापन
इसे जलाना भूल गये बंधु !
कल से फिर
पैदा होने लगेंगे
और और रावण बंधु !
जलाना था कुछ
जला आये और कुछ
जीवित रह गया रावण
अब लड़ते रहना
जब तक
भीड़ भरे मैदान में
स्वयं न जल जाओ बंधु !
"ज्योति खरे"