मंगलवार, अगस्त 17, 2021

बहन

बहन 
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एक-
स्मृतियों में बहन
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मैं 
टूटकर बिखरते समय
जब भी घबड़ाता हूं
हंसती ,खिलखिलाती
गुलाबी बुंदके वाली
फ्राक पहने
दो चोटी में 
लाल रिबिन बांधें
आ जाती है
मेरे सामने
                 
और जब 
रहता हूँ चुप 
उसके गुनगुनाने की आवाज
कानों में पड़ते ही
टूट जाती है चुप्पी

साथ खेले,साथ बढे
लड़े,झगडे,रूठे,रोये,हंसे
जुडे रहे रिश्तो की
रेशमी डोर से

स्मृतियों के आँगन में
बूढा बचपन
अकेला टहलता है जब
संबंधों की जड़ों में 
लग रही दीमक से
वह ही बचाती है

जीवन बदला 
जीने की परिभाषा बदली
पर नहीं बदली
उसके रिश्तों की भाषा

जानता हूँ 
वह भी 
उलझ गयी है
अपने बनाए 
नये रिश्तों के जंगल में

उससे कहता हूं
जब कभी 
समय निकालकर
ऐसे ही
आ जाया करो
स्मृतियों में
दोनों मिलकर
खीर पूड़ी बनाएंगे---

दो
बहन
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बहन 
छोटी या बड़ी
इत्र की शीशी में भरी
परिवार के
संस्कार और परम्पराओं को
सुगंधित करने वाली
गहरी और सुनिश्चित भाग्य रेखा होती है

जीवन की धुरी 
कदमों की पहचान
घटनाओं की आहट 
और जीवन का
तरण द्वार होती है

सैनिको की जान 
ध्वज पकड़े हथेलियाँ 
खिलाड़ियों की सांसें
शिशु की माता 
पिता की धड़कन
मां की सलाहकार
घूमती गोलाकार धरती
कुल्हाडी सी कठोर
फूल सी कोमल
होती है

किसी बदमाश के गाल पर 
झनझनाता 
करारा चांटा भी होती है

बहन
कलाई में लिपटा
एक धागा नहीं 
जीवन का 
सार होती है---

" ज्योति खरे "