रविवार, अप्रैल 14, 2019

इन दिनों


नंगी प्रजातियों की नंगी जबान
थूककर गुटक रहें अपने बयान-

फेंक रहे लपेटकर मुफ्त आश्वासन
मनभावन मुद्दों की खुली है दुकान----

देश को लूटने की हो रही साजिश
बैठे गये हैं बंदर बनाकर मचान--

उधेड़ दो चेहरों से मखमली खाल
चितकबरे चेहरे बने न महान--

पी गये चचोरकर सारी व्यवस्थायें
सूख गए खेत खलियान और बगान--

"ज्योति खरे"