रविवार, अप्रैल 14, 2019

इन दिनों


नंगी प्रजातियों की नंगी जबान
थूककर गुटक रहें अपने बयान-

फेंक रहे लपेटकर मुफ्त आश्वासन
मनभावन मुद्दों की खुली है दुकान----

देश को लूटने की हो रही साजिश
बैठे गये हैं बंदर बनाकर मचान--

उधेड़ दो चेहरों से मखमली खाल
चितकबरे चेहरे बने न महान--

पी गये चचोरकर सारी व्यवस्थायें
सूख गए खेत खलियान और बगान--

"ज्योति खरे"

8 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

देशभगत नाराज हो रहे हैं बहुत। लिखने वालों पर।
फिर भी :) सुन्दर तो सुन्दर होता है।
मदारी का बंदर अगर बंदर घुड़की दे तो दे ।

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

मन की वीणा ने कहा…

सटीक, कटाक्ष भी र मन का तंज भी बिगड़ती व्यवस्था पर।
अप्रतिम।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

नंगी प्रजातियों की नंगी जबान
थूककर गुटक रहें अपने बयान-
फेंक रहे लपेटकर मुफ्त आश्वासन
मनभावन मुद्दों की खुली है दुकान---
बहुत ही सही लिखा है आपने। संस्कारों से परे बातों वाले ये जीव, वस्तुतः परजीवी हैं, शोषण ही करेंगे, इनसे कल्याण की अपेक्षा करना भी बेमानी है।
साधुवाद आदरणीय खरे जी।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

समसामयिक सटीक रचना

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर सटीक समसामयिक रचना...

'एकलव्य' ने कहा…

आवश्यक सूचना :

सभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html