मेरी नागरिकता की पहचान
उसी दिन घोषित हो गयी थी
जिस दिन
दादी ने
आस-पड़ोस में
चना चिंरोंजी
बांटते हुए कहा था
मेरे घर
एक नया मेहमान आने वाला है
मेरी नागरिकता की पहचान
उसी दिन घोषित हो गयी थी
जिस दिन
मेरी नानी ने
छत पर खड़े होकर
पड़ोसियों से कहा था
मैं नानी बनने वाली हूं
उसी दिन घोषित हो गयी थी
जिस दिन
मेरी नानी ने
छत पर खड़े होकर
पड़ोसियों से कहा था
मैं नानी बनने वाली हूं
मेरी नागरिकता की पहचान
किसी सरकारी सफेद पन्ने पर
काली स्याही से नहीं
लिखी गयी है
किसी सरकारी सफेद पन्ने पर
काली स्याही से नहीं
लिखी गयी है
मेरी पहचान तो
मां के पेट में उभरी
लकीरों में दर्ज है
जो कभी मिटती नहीं हैं
मां के पेट में उभरी
लकीरों में दर्ज है
जो कभी मिटती नहीं हैं
सृष्टि का यह सत्य
हमारी नागरिकता की वास्तविक
पहचान है---
हमारी नागरिकता की वास्तविक
पहचान है---