वाह !! बसंत--------
अच्छा हुआ
इस सर्दीले वातावरण में
लौट आये हो--
बदल गई
बर्फीले प्रेम की तासीर
जमने लगीं
मौसम की नंगी देह पर
कुनकुनाहट-----
लम्बे अवकाश के बाद
सांकल के भीतर
होने लगी खुसुर-पुसुर
इतराने लगी दोपहर
गुड़ की लईया चबाचबा कर-----
वाह! बसंत
तुम अच्छे लगते हो
प्रेम के गीत गाते----
"ज्योति खरे"
चित्र- गूगल से साभार
25 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर...
आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर वाह !
बसंत का स्वागत है ... बहुत सुन्दर
बहुत ही खूब ... सादगी ओर सहज ही कहने का अंदाज़ दिल को छू गया ... लाजवाब ...
बहुत सुन्दर.....
सुन्दर काव्य प्रस्तुति।। :-)
आपको बसन्तपंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
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wah
sundar ...mnbhawan ......
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बसन्त पंचमी, विश्व कैंसर दिवस, फेसबुक के 10 साल और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
बहुत सुंदर..... बसंत पंचमी की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं...
बहुत सुंदर..... बसंत पंचमी की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं...
कितना सहज-सरल जुड़ाव ऋतु का जन-जीवन से - वसंत का आगमन सुन्दर सृजन का प्रेरक हो!
अच्छे लगते हो बसंत प्रेम के गीत गाते !
तभी तो खूबसूरत है वसंत जिंदगी से भरपूर !
बहुत सुंदर वर्णन ! आभार आपका
गजब है वसंत की गूंज।
अति सुंदर..... वासंतिक भाव....
बहुत सुंदर प्रस्तुति...!
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
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बसंत की शुभकामनाएं...
बेहद खूबसूरत ..... शब्द शिल्प और भाव .... शुभकामनायें
वाह! बसंत
तुम अच्छे लगते
प्रेम के गीत गाते...
बहुत सुंदर रचना ...!!!
वाह! बसंत
तुम अच्छे लगते हो
प्रेम के गीत गाते---
बहुत खूबसूरत भाव.
सुन्दर रचना के लिए बधाई.
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