उम्मीद तो हरी है .........
दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है
सोमवार, सितंबर 07, 2015
बिटिया के आँचल में -----
अपने आँचल में
ममता की झील बांधे हो
यह झील विरासत में मिली हैं तुम्हें
फिर झील को क्यों बांटना चाहती हो
अगर बांटना है तो
न्याय की जमीन पर खड़े होकर बांटो ---
बेटे को झील का तीन हिस्सा पानी
बेटी को एक हिस्सा
सारे उपवास बेटे के उज्जवल भविष्य के लिए
बिटिया के लिए कुछ भी नहीं
हरछठ में उपासी हो
बिना हल चले खेत के
पसई के चांवल खाओगी
महुआ की चाय पियोगी
बांस की टोकनी पूजोगी
जिसे ममता की झील का तीन हिस्सा पानी दे रही हो
उस वंश ने एक बार भी नहीं पूछा
जिसे एक हिस्सा दे रही हो
वह तीन हिस्से और मिलाकर लौटा रही है ---
दिनभर से पूछ रही है
मम्मी
महुआ की चाय पी
पसई के चांवल खाये
पूजा हुई
ब्लड प्रेशर की दवाई जरूर खाना
भैया का फोन आया ----
मेरी बात पर रोना नहीं सुनीता
ममता की झील सूख जायेगी
झील के पानी को बचाओ
बिटिया को अधिक पानी दो
उसे पीढ़ी दर पीढ़ी बांटना है पानी ----
बिटिया के आँचल में
ममता का पानी
लबालब भरा रहना चाहिए -------
"ज्योति खरे"
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