गुरुवार, मार्च 18, 2021

प्रेम से परिचय

प्रेम से परिचय
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धूल और धुंध के 
थपेड़ों से बचती  
किसी सुनसान 
जगह पर बैठकर
खोलकर स्मृतियों की गठरी
देखना चाहती हूं
पुराने परिचित खूबसूरत दिन

जब उन दिनों 
धूप में चेहरा नहीं ढांकती थी
ठंड में स्वेटर नहीं पहनती थी
भींगने से बचने 
बरसात में छाता नहीं ले जाती थी
 
यह वे दिन थे,जब
वह छुप कर देखता भर नहीं था
भेजता था कागज में लिखकर सपनें
जिन्हें देखकर
मैं जीती रहूं 

उन दिनों,मैं
अल्हड़पन के नखरों में डूबी
इतराया करती थी
मचलकर गिर जाया करती थी
पिघलती मोम की तरह

प्रेम के जादुई करिश्में से
अपरचित थी
एक दिन उस अजनबी ने कहा
मैं,तुम्हारा
प्रेम से परिचय करवाना  चाहता हूं
मजनूं की दीवानगी 
और फ़रहाद की आवारगी से
मिलवाना चाहता हूं
वह कहता रहा
तुममें लैला का दिल है
शीरी का मन है
और तुम्हारे पास
प्रेम करने की अदाएं भी
उन्हीं जैसी हैं

वह चला गया
फिर कभी नहीं लौटा नहीं

मैं आज तक 
उस दीवाने का 
उस आवारा का
इंतजार कर रहीं हूँ
जिसमें मजनू जैसा दिल हो
फ़रहाद जैसा मन हो

मुझे मालूम है
प्रेम के वास्तविक रंगों से
परिचय करवाने 
वह अजनबी जरूर आएगा
जब तक 
इंतजार के खूबसूरत
दिनों में
खुद को संवार लेती हूं----

"ज्योति खरे"

15 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ मार्च २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

इंतज़ार का रंग अलग ही होता है ज्योति जी । और सच पूछिए तो उसके ज़िक्र का भी । अच्छी अभिव्यक्ति है यह आपकी ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत कल्पना ...
न जाने कौन से होते हैं वास्तविक रंग प्रेम के ...
काश आपकी कविता की नायिका का वो अजनबी आ ही जाए ....

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, कल्पनाओं के सुखद संसार में ले जाके,भटका दिया उस अजनबी के इंतजार में,जो कभी आया ही नहीं,अगली कविता में उस अजनबी का इंतजार रहेगा ।

Sudha Devrani ने कहा…

मुझे मालूम है
प्रेम के वास्तविक रंगों से
परिचय करवाने
वह अजनबी जरूर आएगा
जब तक
इंतजार के खूबसूरत
दिनों में
खुद को संवार लेती हूं--

काश ऐसा हो उसका विश्वास कायम रहे...
विचार मंथन करती लाजवाब प्रस्तुति।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

काश!!सब साकारात्मक हो।
लाजवाब सृजन।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सराहनीय रचना

रेणु ने कहा…

बहुत सुंदर आदरणीय सर | जीवन में आखिरी सांस तक किसी अप्राप्य या प्राप्य की प्रतीक्षा हर मन को होती है | भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं

ज्योति सिंह ने कहा…


मैं आज तक
उस दीवाने का
उस आवारा का
इंतजार कर रहीं हूँ
जिसमें मजनू जैसा दिल हो
फ़रहाद जैसा मन हो

मुझे मालूम है
प्रेम के वास्तविक रंगों से
परिचय करवाने
वह अजनबी जरूर आएगा
जब तक
इंतजार के खूबसूरत
दिनों में
खुद को संवार लेती हूं
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना, इंतजार लिए हुए कहानी का अंतिम मोड़ बहुत ही खूबसूरत है, सादर नमन बधाई हो ज्योति जी