बुधवार, मई 27, 2020

बूढ़े आदमी की पर्ची

एक मित्र का फोन आया कहने लगा "तुम्हें कोई पर्ची मिली क्या"
मैंने कहा कैसी पर्ची, वो बोला " जब मिलेगी तो पढ़ना, मुझे तो मिली है पर बताऊंगा नहीं क्या लिखा है" मेरे आग्रह के बाद भी उसने नहीं बताया. बात खत्म होने के कुछ देर बाद पर्ची का ख्याल दिमाग से गायब हो गया. दो दिन बाद फिर एक मित्र का फोन आया "कोई पर्ची मिली क्या."
मौहल्ले में कुछ लोगों से पूछा तो सबने कहा पर्ची के बारे में सुना तो है पर ज्यादा जानकारी नहीं है और जिनको मिली है वे बता भी नहीं रहे कि क्या लिखा है, कहतें हैं जब मिलेगी तो पढ़ना.
कुछ दिनों बाद, भरी दोपहर में एक आवाज आयी
 " दरवाजा खोलिये" 
बाहर निकलकर देखा एक बूढ़ा आदमी खड़ा है, मैंने पूछा "कहिये" 
उसने अपने थैले में से एक पर्ची निकाली और मुझे देते हुए कहने लगा "यह आपके लिए है इसे आराम से पढ़ना  पर किसी को बताना नहीं कि इसमें क्या लिखा है, बस सोचना और समझना"
और वह चला गया.
अंदर आकर पर्ची खोली और पढ़ने लगा--
पैदा हुआ तो बाप ने चुप कराया, स्कूल गया तो मास्टर ने चुप कराया, कालेज गया तो सीनियर ने चुप कराया, नौकरी में अधिकारी, बाजार में व्यापारी, विवाह के बाद पत्नी मुझे और मैं पत्नी को चुप कराता रहा, बेटी मम्मी को और बेटा मुझे चुप कराते रहे, बहू और बेटी अपनी अपनी ससुराल में चुप, स्वतंत्रता के बाद से बड़े, मझोले और छोटे नेता चुप कराते रहे, डाक्टर, नर्स, कामवाले और पड़ोसी भी चुप कराते रहे.
जीवन भर चुप ही रहा, आप भी इस चुप्पी के शिकार होंगे, परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, अड़ोसी,पड़ोसी सभी इस चुप्पी के तले दबे हैं.
यह चुप्पी हमारे अस्तित्व  हमारी स्वतंत्रता,हमारे अधिकरों और हमारी महत्वकांक्षाओं को नष्ट कर रही है और हम मनुष्य से जानवर में परिवर्तित हो रहें हैं.
अब समय है चुप्पी तोड़ने का, अब हमें असंख्य आवाजों के साथ चीखना होगा.
हम सब की मिलीजुली चीख काले आसमान को फाड़कर, नये सूरज का स्वागत करेगी.
एक बूढ़ा आदमी
मरने से पहले
आसमान में
प्रतिरोध की
चीख सुनना चाहता है---

"ज्योति खरे"

28 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अच्छी लघु कथा।

Rakesh ने कहा…

बिलकुल चुप नहीं रहेंगे सन्देश देती लघुकथा

Meena Bhardwaj ने कहा…

सादर नमस्कार,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को
"घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716)
पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।

"मीना भारद्वाज"

Sweta sinha ने कहा…

प्रभावी अभिव्यक्ति,सार्थक संदेश सर।
सादर।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ मई २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

yashoda Agrawal ने कहा…

मुझे भी मिल गई परची
मैं आपके साथ हूँ
सादर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सतह पर आने को आतुर आक्रोष की झलक

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आपका साथ उर्जा प्रदान करेगा
आभार

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Onkar ने कहा…

सशक्त रचना

अनीता सैनी ने कहा…

वाह! लाजवाब सर.
सादर

शुभा ने कहा…

वाह!सुंदर अभिव्यक्ति ।

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहतरीन 👌

Sadhana Vaid ने कहा…

पर्ची भी तो चुप रहने की ही ताकीद कर रही है ! प्रतिरोध की चीख सुनाई कैसे देगी ! सुन्दर कथा !

Alaknanda Singh ने कहा…

वाह ज्योत‍ि जी, आपकी इस एक लाइन ''जीवन भर चुप ही रहा, आप भी इस चुप्पी के शिकार होंगे, परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, अड़ोसी,पड़ोसी सभी इस चुप्पी के तले दबे हैं.'' ... ना जाने कि‍तनी चुप्प‍ियों का गान सुना रही है

एक नई सोच ने कहा…

बहुत ही खूब लिखा है आपने।

चूप्पी से चीख की यात्रा .... 💐💐💐

Abhilasha ने कहा…

सशक्त और सार्थक रचना

मन की वीणा ने कहा…

गहन विचार मंथन करता सार्थक लेखन ।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका