युद्ध की कहानियां
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लिखी जा रही हैं
संवेदनाओं की पीठ पर
युद्ध की कहानियां
झुंझलाते, झल्लाते
वातावरण में
बांटा जा रहा है
डिस्पोजल ग्लास में पानी
पीने वालों को
हर घूंट कड़वा लग रहा है
लेकिन फिर भी पी रहें हैं
घूंट घूंट पानी
जश्न या मातम के दौरान
सुनाई जाती हैं
या गढ़ी जाती हैं
विद्रोह की कहानियां
ऐसे समय में
पड़ती है पानी की ज़रूरत
क्योंकि
सदमें में
चीख चिल्लाहट में
सूख जाता है गला
विभाजित खेमों को
हालात का अंदाज़ा नहीं है
कि,दहशतज़दा लोग
सफेद चादरों पर बैठे
सिसक रहे हैं
कि,कब कोई जानी पहचानी लाश
आंख के सामने से न गुजर जाए
काश!
युद्ध की
कहानियां सुनते समय
किसी के
कराहने की
आवाज न सुनाई दे-----
◆ज्योति खरे