गुरुवार, अगस्त 25, 2022

राह देखते रहे

राह देखते रहे
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राह देखते रहे उम्र भर 
क्षण-क्षण घडियां 
घड़ी-घड़ी दिन 
दिन-दिन माह बरस बीते 
आंखों के सागर रीते--

चढ़ आईं गंगा की लहरें 
मुरझाया रमुआ का चेहरा 
होंठों से अब 
गयी हंसी सब  
प्राण सुआ है सहमा-ठहरा 

सुबह,दुपहरी,शामें 
गिनगिन 
फटा हुआ यूं अम्बर सीते--

सुख के आने की पदचापें 
सुनते-सुनते सुबह हो गयी 
मुई अबोध बालिका जैसी 
रोते-रोते आंख सो गयी 

अपने दुश्मन 
हुए आप ही 
अपनों ने ही किये फजीते--

धोखेबाज खुश्बुओं के वृत
केंद्र बदबुओं से शासित है 
नाटक-त्राटक,चढ़ा मुखौटा 
रीति-नीति हर आयातित है 

भागें कहां, 
खडे सिर दुर्दिन 
पड़ा फूंस है, लगे पलीते--

◆ज्योति खरे

31 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत सुंदर।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 26 अगस्त 2022 को 'आज महिला समानता दिवस है' (चर्चा अंक 4533) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ अगस्त २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

yashoda Agrawal ने कहा…

अप्रतिम
सादर

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

बहुत आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

बहुत आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Meena Bhardwaj ने कहा…

सुन्दर सृजन ।

Anita ने कहा…

इतना सब होने पर भी अगर उम्मीद हरी है तब एक दिन वह भोर भी आएगी जिसकी प्रतीक्षा है ! भावपूर्ण रचना !

मन की वीणा ने कहा…

हृदय स्पर्शी सृजन।
अभिनव सृजन।

Onkar ने कहा…

वाह.बहुत सुंदर

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुख के आने की पदचापें
सुनते-सुनते सुबह हो गयी
मुई अबोध बालिका जैसी
रोते-रोते आंख सो गयी

सुंदर सृजन...

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुंदर सृजन सर भावों में आए उतार चढ़ाव का बहुत सुंदर चित्रण किया आपने।
शब्द शब्द हृदय को छूता।

सुबह,दुपहरी,शामें
गिनगिन
फटा हुआ यूं अम्बर सीते--

सुख के आने की पदचापें
सुनते-सुनते सुबह हो गयी
मुई अबोध बालिका जैसी
रोते-रोते आंख सो गयी... गज़ब लिखा 👌

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बस रहें देखते देखते ही बीत जाएंगे हम भी । गहन अभिव्यक्ति ।

Subodh ने कहा…

"अपनों ने ही किये फजीते--"
"फूंस है, लगे पलीते--" -
दर्शनशास्त्र के ओत प्रोत गहन अनुभूति जनित रचना ...🙏

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Rupa Singh ने कहा…

बहुत सुंदर रचना 👌

SPARSH BY POETRY (SANGEETA MAHESHWARI) ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

SPARSH BY POETRY (SANGEETA MAHESHWARI) ने कहा…

बहुत सुंदर

रेणु ने कहा…

विपन्नता की हृदयस्पर्शी मर्मकथा 👌👌🙏

संजय भास्‍कर ने कहा…

मुई अबोध बालिका जैसी
रोते-रोते आंख सो गयी

सुंदर सृजन...