कैद हुआ मौसम शहरों में
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सुविधाओं का मौसम ठहरा
अपना गूंगा उनका बहरा ठहरा..
चर्चित फूलों के खेतों में
नाजुक भाषा की अगवानी
तुलसी ताक रही अपनों को
माली करते है मनमानी
परिचय की परिभाषा सीमित
संबंधों का मौसम ठहरा..
कैद हुआ मौसम शहरों में
शीशों के घर बसा हुआ है
बाग बगीचे सूख गए हैं
गांव में तो धुआं धुआं है
खोल रखी है स्वागत में सांकल
दरवाजे पर मौसम ठहरा...
◆ज्योति खरे
15 टिप्पणियां:
परिचय की भाषा सिमित
संबंधो का मौसम ठहरा
बहुत खूब विश्लेषण आज के परिवेश का 👌👌🙏#chandana
वाह
सुंदर बिंबों से सजी बहुत अच्छी रचना सर।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बेहतरीन गीत. सादर अभिवादन
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
तुलसी ताक रही अपनों को
माली करते है मनमानी
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब।
बहुत अच्छी रचना
बहुत खूब आदरनीय !
वाह! बदलते हुए हालात और मौसम की बेबसी को खूबसूरत शब्दों में ढाला है आपने
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
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