सोमवार, मई 28, 2012

जीवन..


 खा लिया है भूखे पेट ने आकाश
जीवन थक कर  हो गया हताश
अब भी तराशना नहीं झोडा उनने
रंगने उबाल रहे हैं पलाश 

4 टिप्‍पणियां:

Jyoti khare ने कहा…

kavita jeevan

Jyoti khare ने कहा…

आभार

रश्मि प्रभा... ने कहा…

उम्मीदें ही दरवाज़े खोलती हैं ...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kripya word varification hata den