गुरुवार, मार्च 28, 2013

रंग बह गये------

धुल गया
गाल पर लगा रंग 
उंगलियों के
निशान रह गये----
चलते रहे आँखों में
अतीत के चलचित्र
स्मृतियाँ रह गयी
रंग बह गये------

"ज्योति खरे" 



16 टिप्‍पणियां:

sourabh sharma ने कहा…

सचमुच

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सिर्फ स्मृतियाँ रह जाती है,,,,,,
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कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

गहरी एहसास !
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Vaanbhatt ने कहा…

स्मृतियाँ ब्लैक और वाइट् में ही आतीं हैं...रंग उड़ चुके होते हैं...

Ramakant Singh ने कहा…

अदभुत निःशब्द करती रचना

Saras ने कहा…

वाह ....कम शब्दों में सब कह गए ...बहुत सुन्दर...:)

अरुन अनन्त ने कहा…

वाह क्या बात है आदरणीय गहन अभिव्यक्ति लाजवाब प्रस्तुति बधाई

Shikha Kaushik ने कहा…


सुन्दर प्रस्तुति व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया सर!


सादर

राहुल ने कहा…

रंग बह गये ....
और रंग एक हो गए ..
-----------------
बहुत सुन्दर

Jyoti khare ने कहा…

आप सभी सम्मानित मित्रों का आभार

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बहुत बढ़िया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

बहुत दर्दस्‍पर्शी।

Unknown ने कहा…

बहुत ही संदर अहसास।

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अहसास।