शुक्रवार, मई 17, 2013

बूंद------

 
 
 
आसमान की छत पर
उबलता हुआ जीवन
भाप बनकर चिपक जाता है जब
और घसीट कर भर लेता है
काला सफ़ेद बादल
अपने आगोश में  
फिर भटक भटक कर 
बरसाने लगता है
पानीदार जीवन----    
 
देखकर धरती की सतह पर
संत्रास की लकीरों का जादू
कलह की छाती पर
रंगों का सम्मोहन
दरकते संबंधों में
लोक कलाकारी
दहशत में पनप रहे संस्कार----
 
इस भारी दबाब में बरसती बारिश 
बूंद बन जाती है
क्यों कि बूंद
सहनशील होती  
बूंद खामोश होती है   
अहसास की खुरदुरी जमीन को
चिकना करती है
बूंद में तनाव नहीं होता----- 
 
बूंद
तृप्त कर देती है अतृप्त प्यार
सींच देती है
अपनत्व का बगीचा------
 
बूंद
तुम्हारे कारण ही
धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली-----
 
"ज्योति खरे"
 

                                                    चित्र गूगल से साभार

























    



    


42 टिप्‍पणियां:

Vandana Ramasingh ने कहा…

फिर भटक भटक कर
बरसाने लगता है
पानीदार जीवन----

देखकर धरती की सतह पर
संत्रास की लकीरों का जादू
कलह की छाती पर
रंगों का सम्मोहन
दरकते संबंधों में
लोक कलाकारी
दहशत में पनप रहे संस्कार----

इस भारी दबाब में बरसती बारिश
बूंद बन जाती है


गज़ब का शब्द चयन और बेहतरीन भाव

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (17-05-2013) के राजनितिक वंशवाद की फलती फूलती वंशबेल : चर्चा मंच-...1247 मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

babanpandey ने कहा…

बहुत ही सम्वेंदं शील काश ! बूंद रिश्ते को प्रगाढ़ कर पाती .. मेरे ब्लॉग पर भी पधारे

Ranjana verma ने कहा…

बहुत खूब !!बूंद तुम्हारे कारण ही धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली....सुंदर प्रस्तुति.

kahekabeer ने कहा…

मनोहारी प्रस्तुति...बधाई

राहुल ने कहा…

क्यों कि बूंद
सहनशील होती
बूंद खामोश होती है ....
-------------
बेहतरीन पोस्ट ...

sourabh sharma ने कहा…

बूँद के रूप में जो आसमां का प्यार हम पर बरसता है उसका कितना सुंदर बिंब आपने प्रस्तुत किया, आभार

HARSHVARDHAN ने कहा…

सच में बूंद भी जीवन का कारण है। सुन्दर पंक्तियाँ।

नये लेख : 365 साल का हुआ दिल्ली का लाल किला।

sharad ने कहा…

ज्योति भाई की कलम ही बूंद को अपने सही अर्थ का आभाष कराने का साहस कर सकती है इस कविता ने अंदर तक भिगो दिया दिल निचोड़ कर रख दिया शायद मर्म की पराकाष्ठा इसी को कहते हैं !

बेनामी ने कहा…

अप्रतिम

Aparna Bose ने कहा…

khoobsoorat panktiyan.....
http://boseaparna.blogspot.in/

सदा ने कहा…

बूंद
तृप्त कर देती है अतृप्त प्यार
सींच देती है
अपनत्व का बगीचा------

बूंद
तुम्हारे कारण ही
धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली-----
वाह !!! बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में व्‍यक्‍त किया है आपने भावों को ..
सादर

Maheshwari kaneri ने कहा…

बूँद का सार्थक रुप..बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!आभार

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर रचना


देखकर धरती की सतह पर
संत्रास की लकीरों का जादू
कलह की छाती पर
रंगों का सम्मोहन
दरकते संबंधों में
लोक कलाकारी
दहशत में पनप रहे संस्कार----

क्या बात

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बूंद
तृप्त कर देती है अतृप्त प्यार
सींच देती है
अपनत्व का बगीचा-
खूबसूरत अभिव्यक्ति
सादर

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

बूंद का अहसास।

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

अरुणा ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

Aditi Poonam ने कहा…

एक बूँद ही काफी है जीने के लिए ......मन को भीतर भिगो दिया बूँद ने .....

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

छोटी सी बूंद ..गागर में सागर

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

छोटी सी बूंद ..गागर में सागर

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

छोटी सी बूंद ..गागर में सागर

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

छोटी सी बूंद ..गागर में सागर

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बढ़िया

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 19/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

क्यों कि बूंद
सहनशील होती
बूंद खामोश होती है---बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

तृप्त करती ..एक बूँद !!

सादर
अनु

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

बेहतरीन ......

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Ramakant Singh ने कहा…

बूंद
तृप्त कर देती है अतृप्त प्यार
सींच देती है
अपनत्व का बगीचा------

बूंद
तुम्हारे कारण ही
धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली

जीवन की दिशा बतलाती खुबसूरत पोस्ट वाह

Unknown ने कहा…

बेहद खूब्शुरत भावों से संतृप्त प्रस्तुति बूंद तृप्त कर देती है अतृप्त प्यार सींच देती है अपनत्व का बगीचा------ बूंद तुम्हारे कारण ही धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली-----

Suman ने कहा…

बूंद
तुम्हारे कारण ही
धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली-----
सुंदर प्रस्तुति....

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत गहरे भाव छिपे हैं कविता में |बूद का प्रभाव किता अधिक है समझ में आता है |
"बूँद तृप्त कर देती है -----अपनत्व का बगीचा "
सुन्दर पंक्ति |
आशा

Anita ने कहा…

बूंद के माध्यम से जीवन और प्रकृति के सम्बन्ध को व्याख्यित करती रचना..

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

बूँद- बूँद से घट भरा, सागर भरा विशाल
इस नन्हीं सी बूँद ने,जग में किया कमाल ||

सुन्दर रचना के लिए बधाई ...

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

बूंद
तुम्हारे कारण ही
धरती और जीवन में जिन्दा है हरियाली-----bahut khoob .....

Alpana Verma ने कहा…

'सींच देती हैं अपनत्व का बागीचा..क्या बात कही है!बहुत खूब!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

क्या खूब कहा है ...
वैसे इस बूँद में ही तो जीवन अमृत का संचयन है ...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

देखकर धरती की सतह पर
संत्रास की लकीरों का जादू
कलह की छाती पर
रंगों का सम्मोहन
दरकते संबंधों में
लोक कलाकारी
दहशत में पनप रहे संस्कार----

waah adbhut ...!!

Anand murthy ने कहा…

bahut sunder prastuti.....

anand

http://anandkriti007.blogspot.com

Archana thakur ने कहा…