बात विरोधाभास से ही टकराती है
सांप के काटे चिन्ह पर
हर सुबह दीखता रहा सूरज
सांझ के आसरे में
सांप को मारकर
जीता पदक
रोज नागिन सूंघ जाती है-----
कौन कहता
हम विभाजित जी रहे
आदमी को आदमी से सी रहे
व्यर्थ में चीखकर आकाश में
दर्द में
दर्द की दवा पी रहे
खोखली
हर समय की
रूपरेखा में
एक डायन फूंक जाती है------
"ज्योति खरे"
चित्र----गूगल से साभार
23 टिप्पणियां:
जिंदगी ही विरोधाभास से भरा पड़ा है - अच्छी रचना
आज की बुलेटिन फटफटिया …. ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
अच्छी रचना.बहुत शानदार
शानदार
व्यर्थ में चीखकर आकाश में दर्द में दर्द की दवा पी रहे
खोखली हर समय की रूपरेखा में एक डायन फूंक जाती है------
वाह ।
सार्थक लेखन
संग्रहणीय पोस्ट
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
गुरूजनों को नमन करते हुए..शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (22-06-2013) के शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ( चर्चा- 1359 ) में मयंक का कोना पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही गहरी रचना.
जिंदगी में तो विरोधाभास ही विरोधाभास है..सुन्दर रचना के लिए बधाई.
बेहद सशक्त भाव रचना के ....
आदमी से आदमी को सी रहे ......गहरी बात कह दी। पूरे दो माह के बाद वापसी हुई है। सब ठीक तो है?
बहुत बढ़िया
आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 06.09.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
बहुत सुन्दर...अद्भुत..!
बहुत ही उत्कृष्ट रचना
बहुत सार्थक सुन्दर प्रस्तुति ...
सार्थक रचना..
प्रभावशाली और अलग सी रचना ...
बधाई आपको !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लागर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शनिवार हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल :007 http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर ..
बहुत ही उत्कृष्ट रचना
"शब्दों की मुस्कुराहट पर
13)...अनकहा सच और अन्तःप्रवाह से प्रारब्ध तक का सफ़र बहुमुखी प्रतिभा:))
"
bahut sundar.....
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