दुख पराये नहीं होते
बहुत खास होते हैं
अपनों से भी अधिक
जैसे
पुरुष के लिए प्रेमिका
स्त्री के लिए प्रेमी
प्रेम का रस
खट्टा मीठा होता है
एक चींटी
अपने सिर पर
अपने वजन से भी अधिक
बोझ रखकर जब दुखों से लड़ती
पहाड़ पर चढ़ कर
जीत की घोषणा करती है
विजेता उसी दिन बनती है----
" ज्योति खरे "