रविवार, अक्तूबर 13, 2019

तुम्हारी मुठ्ठी में कैद है तुम्हारा चांद

तुम्हारी मुठ्ठी में कैद है-तुम्हारा चाँद
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चाँद को तो
उसी दिन रख दिया था
तुम्हारी हथेली पर
जिस दिन
मेरे आवारापन को
स्वीकारा था तुमने

सूरज से चमकते तुम्हारे गालों पर
पपड़ाए होंठों पर
रख दिये थे मैने
कई कई चाँद

चाँद को तो
उसी दिन रख दिया था
तुम्हारी हथेली पर
जिस दिन
विरोधों के बावजूद
ओढ़ ली थी तुमने
उधारी में खरीदी
मेरे अस्तित्व की चुनरी

और अब
क्यों देखती हो
प्रेम के आँगन में
खड़ी होकर
आटे की चलनी से
चाँद----

तुम्हारी मुट्ठी में तो कैद है
तुम्हारा अपना चाँद----

"ज्योति खरे

17 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आटे की छलनी
पकड़ी जरूर होती है
चाँद को मुट्ठी में
मगर कुलबुलाहट
हो रही होती है :) :)

वाह

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जी नमस्ते,


आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-10-2019) को "बुरी नज़र वाले" (चर्चा अंक- 3488) पर भी होगी।
---
रवीन्द्र सिंह यादव

Onkar ने कहा…

बहुत खूब

Kamini Sinha ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन सर ,सादर नमस्कार

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!

मन की वीणा ने कहा…

वाह विशुद्ध नजरिया।

गोपेश ने कहा…


बहुत सुन्दर !
सच्चे प्यार में न तो व्रत की ज़रूरत है और न ही महंगे तोहफ़े की !

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन ।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

Rohitas Ghorela ने कहा…

कमाल का वार।
कमाल की रचना।
सच्चा प्रेम क्या है?
यही है
यही है
यही है।

Meena sharma ने कहा…

इस प्रेम के आगे सारे बेशकीमती उपहार तुच्छ हैं। बड़ी प्यारी अभिव्यक्ति है आदरणीय खरे जी। सादर प्रणाम।

रेणु ने कहा…

वाह, ! आदरणीय सर , प्रेम के इस अनोखे चाँद के आगे गगन का चाँद भी फीका है।बेबाक प्यार भरी प्यारी सी रचना 👌👌👌🙏🙏

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Sangeeta Srivastava ने कहा…

प्यार की प्यारी सी रचना | सादर नमन आपको