नये वर्ष में
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इस धरती पर
कुछ नया
कुछ और नया होना चाहिए
चाहिए
अल्हड़पन सी दीवानगी
जीवन का
मनोहारी संगीत
अपनेपन का गीत
चाहिए
सुगन्धित हवाओं का बहना
फूलों का गहना
ओस की बूंदों को गूंथना
कोहरे को छू कर देखना
चिड़ियों सा चहचहाना
कुछ कहना
कुछ बतियाना--
इस धरती पर
कितना कुछ है
गाँव,खेत,खलियान
जंगल की मस्ती
नदी की दौड़
आंसुओं की वजह
प्रेम का परिचय
इन सब में कहीं
कुछ और नया होना चाहिए
होना तो कुछ चाहिए
चाहिए
किताबों,शब्दों से जुडे लोग
बूढों में बचपना
सुंदर लड़कियां ही नहीं
चाहिए
पोपले मुंह वाली वृद्धाओं में
खनकदार हंसी--
नहीं चाहिए
परचित पुराने रंग
पुराना कैनवास
कुछ और नया होना चाहिए
होना तो कुछ चाहिए ---------
"ज्योति खरे"
19 टिप्पणियां:
बहुत आभार आपका
लाजवाब। वैसे चाहिये कौन पूछ रहा है ? ले लेना है तो ले नहीं तो फूट ले का जमाना है।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 05 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
कुछ नया जरुरी है नई ऊर्जा के लिए
बहुत अच्छी प्रस्तुति
सुन्दर भावों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
बहुत बढ़िया
बहुत सुंदर रचना सर।
चाहिए
किताबों,शब्दों से जुडे लोग
बूढों में बचपना
सुंदर लड़कियां ही नहीं
चाहिए
पोपले मुंह वाली वृद्धाओं में
खनकदार हंसी--
नहीं चाहिए
परचित पुराने रंग
पुराना कैनवास
कुछ और नया होना चाहिए
होना तो कुछ चाहिए ---------
आपकी कल्पनाओं का आकाश सुकून दे जाता है। देरी से पढने और प्रतिक्रिया हेतु माफ करेंगे। नववर्ष की शुभकामनाओं सहित।
चाहिए
किताबों,शब्दों से जुडे लोग
बूढों में बचपना
सुंदर लड़कियां ही नहीं
चाहिए
पोपले मुंह वाली वृद्धाओं में
खनकदार हंसी--बस औश्र क्या चाहिए इस वनवर्ष में ... बहुत खूब
बहुत सुंदर
सचमुच कुछ नया तो होना चाहिए
वाह!!!
लाजवाब सृजन
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
आभार आपका
बहुत सुंदर नये में ही सजीवता है, बहुत सुंदर सृजन
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