गुरुवार, सितंबर 21, 2023

ज़मीनदार हो गया

सड़क पर घूमते,भटकते
वह अचानक 
प्यार में गिरफ्तार हो गया 
लोग कहने लगे 
अब वह आबाद हो गया 

उसके हिस्से में
पांव के नीचे की ज़मीन
ही तो मिली थी
इस ज़मीन पर
सदाबहार के पेड़ उगाने लगा
सफेद,बैगनी और हल्के लाल रंगों में
अपने प्यार को महसूसता 
और फुरसत के क्षणों में
कच्ची परछी में बैठकर
प्यार से बतियाते हुए
मुस्कराने लगा

मोहल्ले की नज़र क्या लगी
मुरझाने लगा सदाबहार
दरक गयी
कच्ची परछी पर पसरी
मुस्कुराहट

गरीब
एक दिन
अपने हिस्से की ज़मीन पर 
मरा पाया गया
लोग कह रहे हैं
वह गरीब नहीं था
प्यार को बचा पाने की ज़िद में 
ज़मीनदार हो गया ---

◆ज्योति खरे

8 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

प्यार पाने की जिद में जमींदार हो गया 👌👌👌बेहद खूबसूरत भावपूर्ण रचना 👌👌🙏
#chandana

बेनामी ने कहा…

प्यार को बचा पाना कहां सब को आता है 🙌🙌

#chandana

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

लाजवाब

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

भावपूर्ण सृजन...

Sweta sinha ने कहा…

बेहद भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी रचना सर।
प्रणाम सर
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

Onkar ने कहा…

हृदयस्पर्शी रचना

मन की वीणा ने कहा…

भावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना जिज्ञासा सी बहुत सुंदर सृजन।
सस्नेह।

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर रचना