बिखरे पड़े हैं क़त्ल से
रिश्ते जमीन के-----
मुखबिर बता रहे हैं
किस्से यकीन के------
चाहतों के मकबरे पर
शाम से मजमा लगा है
हाथ में तलवार लेकर
कोई तो दुश्मन भगा है
गश्त दहशत की लगी है
किस तरह होगी सुबह
खून के कतरे मिले हैं
फिर से कमीन के-------
चाँद भी शामिल वहां था
सूरज खड़ा था साथ में
चादर चढ़ाने प्यार की
ईसा लिये था हाथ में
जल रहीं अगरबत्तियां
खुशबू बिखेरकर
रेशमी धागों ने बांधे
रिश्ते महीन के-------
"ज्योति खरे"
(उंगलियां कांपती क्यों हैं------से )
रिश्ते जमीन के-----
मुखबिर बता रहे हैं
किस्से यकीन के------
चाहतों के मकबरे पर
शाम से मजमा लगा है
हाथ में तलवार लेकर
कोई तो दुश्मन भगा है
गश्त दहशत की लगी है
किस तरह होगी सुबह
खून के कतरे मिले हैं
फिर से कमीन के-------
चाँद भी शामिल वहां था
सूरज खड़ा था साथ में
चादर चढ़ाने प्यार की
ईसा लिये था हाथ में
जल रहीं अगरबत्तियां
खुशबू बिखेरकर
रेशमी धागों ने बांधे
रिश्ते महीन के-------
"ज्योति खरे"
(उंगलियां कांपती क्यों हैं------से )
5 टिप्पणियां:
aaj ke haalat per bahut sarthak abhivykti
aaj ke haalat per bahut sarthak abhivykti
बिखरे पड़े हैं क़त्ल से
रिश्ते जमीन के-----
मुखबिर बता रहे हैं
किस्से यकीन के------
(मन को बेंधती पंक्तियाँ )
rishtoo ko nibhana aasan nahi or banana aasan bhi nahi.............bahut accha
bahut accha'''''''
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