अनुबंधों का रूप तुम्हारा
रात नहीं सोता होगा
प्राणों के हर दरवाजे पर
मेरे मन का तोता होगा-------
आँखों का परिचय सब
आँगन देहरी बांध गया
पकड़े अहसासों की उंगली
मरुथल पूरा लांघ गया
नदी किनारे बैठकर
प्यासा पंछी रोता होगा------
प्रतिबिम्बों के लिये विनत हो
छत से उतर गया
नाखूनों के पॊर सामने
दर्पण कुतर गया
सांस हारती बाजी कैसे
तह वाला गोता होगा-------
"ज्योति खरे"
(उंगलियां कांपती क्यों हैं -------से)
2 टिप्पणियां:
------आँखों का परिचय सब
आँगन देहरी बांध गया
पकड़े अहसासों की उंगली
मरुथल पूरा लांघ गया
नदी किनारे बैठकर
प्यासा पंछी रोता होगा------
...एक सुंदर अभिव्यक्ति....बंधे शब्दो में उन्मुक्त शब्द प्रवाह..
khud jyoti prakash ki talash kre.... to andhere kahan jaye.....??
एक टिप्पणी भेजें