सींचकर आंख की नमी से
रखती है तरोताजा
अपने रंगीन फूल
संवारती है
टूटे आईने में देखकर
कई कई आंखों से
खरोंचा गया चेहरा
जानती है
सुंदर फूल
खिले ही अच्छे लगते हैं
मंदिर की सीढियां
उतरते चढ़ते
मनोकामनाओं की फूंक मारते
प्रेम के पत्तों में लपेटकर
बेच देती है
अपने फूल
भरती है राहत की सांस
चढ़ा देती है
बचा हुआ आखिरी फूल
कि शायद कोई देवता
चुन ले
कांटों में खिला फूल
खींच दे हाथ में
सुगंधित प्यार की लकीर
मुरझाये फूल में
जान लौट आयेगी-------
"ज्योति खरे"
25 टिप्पणियां:
....शायद कोई देवता
चुन ले
कांटों में खिला फूल
खींच दे हाथ में
सुगंधित प्यार की लकीर...
अच्छी प्रस्तुति!
bahut sundar bhav,..:)
कि शायद कोई देवता चुन ले कांटों में खिला फूल खींच दे हाथ में सुगंधित प्यार की लकीर मुरझाये फूल में जान लौट आयेगी-------
उम्दा अभिव्यक्ति दिल को छू गए ..
सादर !!
कि शायद कोई देवता
चुन ले
कांटों में खिला फूल
खींच दे हाथ में
सुगंधित प्यार की लकीर
bahut sundar rachna hai ...bahut bahut aabhar !
सुन्दर रचना !!
गम्भीर भाव से युक्त कविता।
tarif ke liye shabd kam pad rahe hain
हर फूल की अभिलाषा है यह ...
सुन्दर भाव ..
सादर !
मासूम सी चाहत ...
दिल में उतर गई सीधे से ...
सींचकर आंख की नमी से
रखती है तरोताजा
अपने रंगीन फूल
...बहुत मर्मस्पर्शी पर यह उम्मीद ही जीवन की प्रेरणा है...
वाकई ...
बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए बधाई आपको भाई जी !
हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति.....
दिल की बात है समझने वाले जरुर समझेंगे.
waah! bahut sunder bhaav liye rachna
shubhkamnayen
कि शायद कोई देवता
चुन ले ....
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सुन्दर ..बढ़िया ..
बहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता ..शब्द चयन, भाव-विन्यास, सभी कुछ सुन्दर है।
बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
खरोंचा गया चेहरा
जानती है
सुंदर फूल
खिले ही अच्छे लगते हैं
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
कि शायद कोई देवता चुन ले कांटों में खिला फूल खींच दे हाथ में सुगंधित प्यार की लकीर
वाह, क्या बात है। अति सुन्दर।
सुंदर भाव, बहुत खूब!
सुंदर भाव, बहुत खूब!
बाकई...सच को बयाँ करती रचना
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