समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि और समालोचक श्री विष्णु नागर जी थे,प्रमुख वक्ता
प्रसिद्ध साहित्यकार श्री उपेन्द्र कुमार जी एवं राजीव श्रीवास्तव की उपस्थिति रही.
विष्णु नागर जी ने पुस्तक का विमोचन करते हुऐ कहा कि आज के दौर की समकालीन कविताओं
का यह संग्रह वर्तमान जीवन की विडंबनाओं को उजागर करता है,साथ ही इन्होंने कविता के रूप और गुणों पर भी प्रकाश डाला और कविता के निर्माण में कौन सा तत्व सर्वाधित उपयोगी होता है इस विषय पर भी सवाल उठाया, ज्योति खरे को संग्रह पर बधाई और शुभकामनायें दी.
मुख्य वक्ता आलोचक उपेन्द्र कुमार ने कहा कि ज्योति खरे की कवितायें सहजता से बुनी
हुई हैं और मन को प्रभावित करती हैं, इनकी कविताओं में शब्दों की कठिनता नहीं बल्कि बोलचाल की भाषा का सुंदर और व्यवहारिक प्रयोग है, जो कविताओं को पठनीय बनाता है.
साहित्यकार और कला समीक्षक डॉ राजीव श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि
नवनीत जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित इनकी रचनाओं से लेकर वर्तमान तक की सृजन
यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला,
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे "नया ज्ञानोदय" के संपादक और भारतीय ज्ञानपीठ के
कविता लिखना और उसे इतने सालों से बचाकर रखना एक चुनौती पूर्ण काम है,
यही कारण है की इनकी कविताओं में मन की पीड़ा तो है, साथ ही साथ समाज और
जीवन की विडम्बनाओं का भी प्रभाव है,वर्तमान समय की नब्ज को पहचानती इनकी
कविताओं में सहजता है जो मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं.इन्होंने कहा कि संग्रह की
सभी कवितायें समकालीन दौर की बेहतरीन कवितायें हैं.
इस विशेष मौके पर ज्योति खरे ने संग्रह की कुछ कवितायें भी अपने अंदाज में पढ़ी
वरिष्ठ समालोचक डॉ ओम निश्चल ने समारोह का बहुत सृजनात्मक संचालन किया
आभार ब्लू बक पब्लिकेशन्स के प्रबंधक अजय आनन्द ने किया
समारोह में दिल्ली और बाहर से आये साहित्यकारों की उपस्थिति ने समारोह को
गरिमा प्रदान कीआग्रह है पुस्तक यहां से प्राप्त करें, और अपनी सार्थक प्रतिक्रिया दें
सादर आभार सहित -----
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ज्योति खरे
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