स्त्री की देह में ही
हो जाती है समाप्त ---
स्त्रियां
पुरषों को बचा पाने की जुगत में भी
स्त्रियां जानती हैं
पुरुषों के ह्रदय
पुरुषों की आँखें
नहीं देख पाती स्त्री की देह में एक स्त्री
स्त्रियों की आँखें
"ज्योति खरे"
चित्र
गूगल से साभार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें