सोमवार, मई 25, 2020

ईद मुबारक

सुबह से 
इंतजार है 
तुम्हारे मोंगरे जैसे 
खिले चेहरे को
करीब से देखूं
ईद मुबारक 
कह दूं

पर तुम 
शीरखोरमा
मीठी सिवैंईयां
बांटने में लगी हो

मालूम है
सबसे बाद में
मेरे घर आओगी
दिनभर की 
थकान उतारोगी
बताओगी
किसने कितनी 
ईदी दी

तुम 
बिंदी नहीं लगाती हो
पर में
इस ईद में
तुम्हारे माथे पर
गुलाब की पंखुड़ी 
लगाना चाहता हूं

मुझे नहीं मालूम
तुम इसे
प्रेम भरा
बोसा समझोगी
या गुलाब की सुगंध का
कोमल अहसास
या ईदी

अब जो भी हो
प्रेम को 
जिंदा रखना है
अपन दोनों को

"ज्योति खरे"


22 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सार्थक सन्देश।
ईद मुबारक।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह लाजवाब

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 25 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -5 -2020 ) को "कहो मुबारक ईद" (चर्चा अंक 3713) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
कामिनी सिन्हा

~Sudha Singh Aprajita ~ ने कहा…

बहुत सुंदर

विश्वमोहन ने कहा…

अब जो भी हो ......वाह! मन को छू गयी, मन की बात!

Anita ने कहा…

कोमल अहसास से बुनी रचना

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

एक मासूम, कोमल सी चाहत

मन की वीणा ने कहा…

लाजवाब सृजन।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मासूम से नाज़ुक प्रेम को संभालना आसान कहाँ होता है ... पंखुरी सा हल्का जो होता है ...
खूबसूरत सृजन ...

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

यह साईट खुल ही नहीं रही

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

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आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

अनीता सैनी ने कहा…

वाह! बहुत ही खूबसूरत सृजन आदरणीय सर.
सादर