शनिवार, मई 21, 2022

चाय की चुस्कियों के साथ

चाय की चुस्कियों के साथ
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हांथ से फिसलकर
मिट्टी की गुल्लक क्या फूटी
छन्न से बिखर गयी
चिल्लरों के साथ
जोड़कर रखी यादें 

कुहरे को चीरती उभर आयीं 
शहर की पुरानी गलियों में जमी मुलाकात
जब एक सुबह 
खिड़कियों को खोलते समय
पास वाली सड़क पर लगे
ठेले पर
चाय की चुस्कियों के साथ
तुम्हें देखा था
चहक रहे थे तुम
तुम्हारी वह चहक
भर रही थी 
मेरे भीतर की खाली जगहों को
उन दिनों मैं भी 
चहकने लगी थी
चिड़ियों की तरह
जब गर्म चाय को फूंकते समय
तुम्हारे होंठ से
निकलती थी मीठी सी धुन 
मैं उन धुनों को सुनने 
आना चाहती थी तुम्हारे पास

तुम्हारी आंखें भी तो
खिड़की पर खोजती थी मुझे
फिर 
आखों के इशारे से
तुम्हारे चेहरे पर खिल जाते थे फूल
दिन में कई बार खोलती खिड़की
और देखती
कि तुम्हारे चेहरे पर
खिले हुए फूल 
चाय के ठेले के आसपास तो
नहीं गिरे हैं

टूटी हुई गुल्लक को 
समेटते समय
तुम फिर याद आ रहे हो
तुम भी तो 
याद करते होगे मुझे

खिंच रहीं
काली धूप की दीवारों के दौर में
कभी मिलेंगे हम 
जैसे आपस में 
खेतों को मिलाती हैं मेड़
मुहल्लों को मिलाती हैं
पुरानी गलियां
और बन जाता है शहर
 
एक दिन 
तुम जरूर आओगे
उसी जगह 
जहां पीते थे 
चुस्कियां लेकर चाय
और मैं
खिड़कियां खोलकर
करूंगी
तुमसे मिलने का ईशारा

उस दिन
तुम कट चाय नहीं
फुल चाय लेना
एक ही ग्लास में पियेंगे
और एक दूसरे की चुस्कियों से निकलती
मीठी धुनों को
एक साथ सुनेंगे

◆ज्योति खरे

19 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

लाजवाब

Sweta sinha ने कहा…

बेहद भावपूर्ण, रूमानियत से सराबोर एक तिलिस्मी शब्द चित्र खींच दिया सर आपने।
लाज़वाब रचना।
प्रणाम सर
सादर।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

वाह वाह ! कितना सुंदरनमोहक दृश्य । अच्छी लगी आपकी कविता ।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी लिखी रचना सोमवार २३ मई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

संगीता स्वरूप

Meena Bhardwaj ने कहा…

सुन्दर सी स्वप्निल दुनिया पर भावसिक्त सृजन ।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

अति सुंदर आदरणीय ।

Payal Patel ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
MANOJ KAYAL ने कहा…

लाज़वाब रचना

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

मन की वीणा ने कहा…

यादों के दरीचे खोलता विरह श्रृंगार का सुंदर चित्रण।

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर, मधुर रचना

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

रेणु ने कहा…

जीवन में छोटी छोटी खुशियों के मायने कहीं बड़े होते हैं।भावपूर्ण प्रस्तुति जो मन को छू गई।सादर