गुरुवार, जुलाई 11, 2024

समीप खीचते हुए

समीप खीचते हुए
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मेरे और तुम्हारे 
विषय को लेकर
मनगढ़ंत किस्सों में
बेतुकी बातें दर्ज हैं

यहां तक कि,
दीवारों पर भी लिख दिया गया है
मेरा और तुम्हारा नाम 
बना दिया है दिल 
और उस दिल को 
तीर से भी चीर दिया गया है

तुम हमेशा
मेरे करीब आने से डरती हो
कहती हो
कि, लोग तरह तरह की कहानी गढ़ेंगे
लिख देंगें
उपन्यास 

मैंने
अपने समीप खीचते हुए
उससे कहा
बाँध लो 
अपनी चुन्नी में 
हल्दी चांवल के साथ 
अपना प्रेम 

सारे किस्से 
लघु कथा में सिमट जाएंगे--- 

◆ज्योति खरे

6 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Sweta sinha ने कहा…

प्रेम की खुशबू जीवन के ठूँठ को नवजीवन प्रदान करती है।
बहुत सुंदर,भावपूर्ण रचना सर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

रेणु ने कहा…

क्या बात है आदरणीय सर! प्रेम की पावन अनुभूति की सुंदर कहानी! यदि प्रेम की कथा हल्दी चावल की पवित्र साक्षी के साथ चुन्नी में बंधने तक पहुँच जाए तो ये प्रेम के सर्वोच्च सौभाग्य का प्रतीक है! 🙏🙏

Sudha Devrani ने कहा…

मुकम्मल प्रेम सिर्फ में सिमट जाता है और अधूरा प्रेम पर बनती हैं बातें, किस्से और उपन्यास भी...
वाह!!!
लाजवाब👌🙏

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना,