मंगलवार, अप्रैल 09, 2013

सवेरा नहीं हुआ------




                                       बहुत उम्मीद से
                                       तलाशते रहे सहारा
                                       बे-घरों का
                                       बसेरा नहीं हुआ-----
                                       अंधेरे में चले थे
                                       उजाला पकडने
                                       सूरज तो दिखा
                                       सवेरा नहीं हुआ------

                                                          "ज्योति खरे"  

24 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) (मयंक का कोना) पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!

Ranjana verma ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

कम शब्दों में गहन भावार्थ - बधाई !

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति-
शुभकामनायें स्वीकारें-

साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे ने कहा…

चंद पंक्तियां विरोधाभास को व्यक्त करने वाली। अंधेरे में चलाना उजाला पकडने के लिए सूरज तो दिखा पर सबेरा न होना अद्भुत कल्पना।
drvtshinde.blogspot.com

शिवनाथ कुमार ने कहा…

वाह, बहुत बढ़िया
सार्थक रचना
सादर !

सदा ने कहा…

अंधेरे में चले थे
उजाला पकडने
सूरज तो दिखा
सवेरा नहीं हुआ------
वाह ... बहुत ही उम्‍दा भाव
आभार

Ritesh Gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर....रचना

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण दार्शनिक प्रस्तुति ,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... उजाला तो मिला पर हाथ नहीं आया ..

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुतिकरण.

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अद्भुत भाव।

shashi purwar ने कहा…

bahuy sundar jyoti ji hardik badhai

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

वाह, बहुत बढ़िया

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

आपने कम पंक्तियों में संवेदित भावों को इतना उबाला कि इनकी भाप से हम भी नम हो गए हैं।

नीलांश ने कहा…

acchi rachna

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बहुत बढ़िया

Madhuresh ने कहा…

बेहतरीन पंक्तियाँ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

पर बुद्धिरूपेण माँ ने वह सवेरा दे दिया - ब्लॉग बहुत सुन्दर लग रहा है

Dinesh pareek ने कहा…

नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग

Archana Chaoji ने कहा…

वाह कम शब्दों मे ज्यादा बात ---

Dinesh pareek ने कहा…

नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!! बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आने के लिए में माफ़ी चाहता हूँ

बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग

RAJA AWASTHI ने कहा…

कम शब्दों में मार्मिक बात कहने की आपकी सामर्थ्य अद्भुत है ।

Ravindra Saran ने कहा…

बहुत सुन्दर,उत्कृष्ट..पंक्तियाँ।