गुरुवार, फ़रवरी 27, 2020

सावधान हो जाओ


बादल दहाड़ते आते हैं
बिजली
बार-बार चमककर
जीवन के
उन अंधेरे हिस्सों को दिखाती है
जिन्हें हम अनदेखा कर
अपनी सुविधानुसार जीते हैं
और सोचते हैं कि,
जीवन जिया जा रहा है बेहतर

बादल बिजली का यह खेल
हमें कर रहा है 
सचेत और सर्तक
कि, सावधान हो जाओ
आसान नहीं है अब
जीवन के सीधे रास्ते पर चलना

लड़ने और डटे रहने के लिए
एक जुट होने की तैयारी करो

बेहतर जीवन जीने के लिए
पार करना पड़ेगा
बहुत गहरा दलदल ----


9 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आदत डालने लगे हैं आँखें बन्द कर लेने की चमकती बिजली देखते ही जैसे डाल लेता है शुतुरमुर्ग गरदन रेत में।

Jyoti khare ने कहा…

आभार आपका

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०१ -0३-२०२०) को 'अधूरे सपनों की कसक' (चर्चाअंक -३६२७) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

Kamini Sinha ने कहा…

लड़ने और डटे रहने के लिए
एक जुट होने की तैयारी करो

बहुत खूब सर ,सादर नमन

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
लाजवाब सृजन।

मन की वीणा ने कहा…

सामायिक जागरूकता पर चिंतन देती सार्थक रचना।

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )

'बुधवार' ०४ मार्च २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Unknown ने कहा…

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