रविवार, मार्च 24, 2013

यार फागुन------

यार फागुन
सालभर में एक बार
दबे पांव आते हो
खोलकर प्रेम के रहस्यों को
चले जाते हो------

यार फागुन
तुम तो केवल
रंगों की बात करते हो
प्यार के मनुहार की बात करते हो
शहर की
संकरी गलियों में झांकों
मासूमों का
कतरा कतरा बहता मिलेगा
झोपड़ पट्टी में
कुछ दिन गुजारो
बच्चों के फटे कपड़ों का
टुकड़ा ही मिलेगा-----

यार फागुन
जहां रोटियां की कमी है
वहां
रोटियां परोसो
गुझिया के चक्कर में 
रोटियां न छीनों 
एक चुटकी गुलाल
मजदूर के गाल पर मलो
अपनों को रंगों-------

यार फागुन
गुस्सा मत होना
अपना समझता हूं
अपना ही समझना---------

"ज्योति खरे"    

14 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत भावपूर्ण सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति
latest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार

वाणी गीत ने कहा…

रोटी के भूखे को गुझिया क्या !
सन्देश प्रभावी है!

सदा ने कहा…

जहां रोटियां की कमी है
वहां
रोटियां परोसो
गुझिया के चक्कर में
रोटियां न छीनों
एक चुटकी गुलाल
मजदूर के गाल पर मलो
अपनों को रंगों-------
भावमय करते शब्‍द ...

vandana gupta ने कहा…

्सार्थक संदेश देती खूबसूरत प्रस्तुति ……… होली की शुभकामनायें।

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

न पठनीय है, न अच्‍छी है, न साधारण है। यह कविता तो उत्‍कृष्‍ट है। बहुत अच्‍छा जोड़ा आपने फाग की मस्‍ती को दुरुह परिस्थितियों के साथ।

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति,आभार.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

काश कि फागुन आपकी बात सुन ले...
गहन अभिव्यक्ति..

सादर
अनु

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा सराहनीय उत्कृष्ट रचना,,
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए....
आपभी फालोवर बने मुझे हादिक खुशी होगी आभार,,

Recent post : होली में.

राहुल ने कहा…

यार फागुन
तुम तो केवल
रंगों की बात करते हो
प्यार के मनुहार की बात करते हो..
....पर अपनों को रंगों
दिव्य सोच .... होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Suman ने कहा…

सुंदर सटीक रचना ...

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…
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Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना!

"आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!":-)
~सादर!!!

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

प्यारा सन्देश.

बेनामी ने कहा…

bohot khoob!