मंगलवार, मई 07, 2013

मन का दुखड़ा सुनाता है--------


बीनकर लाता है
दिनभर में
काला दुःख
लाल कपट
सफ़ेद छल
टुकड़े टुकड़े हंसने की चाह
कुनकुनी रात की रंगीनियां
अवैध संबंधों की जांघ में
गपे छुरे का गुमनाम सच------

सरकारी अस्पताल में
मरने के लिये
मछली सी फड़फड़ाती
पुसुआ की छोकरी
और डाक बंगले में फिटती रही
रातभर रमीं
लुढ़कती रहीं
खाली बोतलें --------

डालकर गले में हांथ
खुरदुरे शहर का हाल बताता है
मन का दुखड़ा सुनाता है
तो
किसी का क्या जाता है--------

"ज्योति खरे"

25 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सच को जिस तरह उकेरा है आपने बिरले ही कर पाते हैं।

shashi purwar ने कहा…


बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013) के "http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html"> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!

वाणी गीत ने कहा…

सत्य जैसा भी है , प्रकट करता है !
ऐसा लगता है टीवी की बात हो रही है :)

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा पढ़कर

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा पढ़कर

Ranjana verma ने कहा…

!मन का हाल वयां करतीकविता...... सुंदर प्रस्तुति!!

Ranjana verma ने कहा…

!मन का हाल वयां करतीकविता...... सुंदर प्रस्तुति!!

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

Amrita Tanmay ने कहा…

मन को छू कर..

Unknown ने कहा…

सच, किसी का क्या जाता है? सार्वकालिक सच।

Rajendra kumar ने कहा…

बेहतरीन एक सच का उजागर,सुन्दर प्रस्तुति.

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍द ...

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कडुवे सच को शब्दों में हूबहू उतारा है ...
प्रभावशाली रचना ..

Tanuj arora ने कहा…

सत्य को प्रस्तुत करते शब्द...

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अभिव्‍यक्ति गूढ़ है। इसलिए टिप्‍पणी के लिए मैं मूढ़ हूँ।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक अभिव्यक्ति...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कटु सत्य ....मार्मिक अभिव्यक्ति

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत तीखी लगी...पर है सच्‍ची

राहुल ने कहा…

आज के हालात को रखते भाव...बढ़िया शब्द....

Aparna Bose ने कहा…

तीखा मगर सटीक .......सुन्दर अभिव्यक्ति
http://boseaparna.blogspot.in/

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत ही सुन्दर

sharad ने कहा…

दिल में अक्रांत वेदना और रिसते हुए धाव लिए कलम की पैनी धार अंतस को छीलती प्रतीत हो रही है ! कहीं ना कहीं कुछ छूटता सा लगता है ! जीवन की आपाधापी हमें यहीं पर ला कर छोड़ती है ! पंक्तियां आदमखोर की तरह हमारे मन को लहूलुहान कर रहीं हैं

Unknown ने कहा…

sundar Abhivyakti

Archana thakur ने कहा…

सच की बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी कलम से निकला हर शब्द सच की ज़मीन से जुड़ा दिखता है..